ख़ाक लिख रहे हैं ये युवा
कविता तो कत्तई नहीं है यह
है तो मात्र शब्द आडंबर
सम्भव ही नहीं इनके कविताओं का आस्वादन
कविता की सार्थकता
नहीं होती सिद्ध
वरिष्ठ कवि ने कहा
पढ़ती ही नहीं हैं युवा पीढ़ी
कविता और समय का नहीं है तालमेल
आलोचक सरीखे कवि ने कहा
इनको खूब पढ़ना चाहिए
तब ही लिखना चाहिए
समकालीन सन्दर्भ से संपृक्त हैं इनकी रचनाएँ
विशिष्ट कवि ने कहा
नहीं बन पाई है युवाओं में कविता की समझ
नहीं दिखता कहीं कविता का आत्मसंघर्ष
ना अलंकार की समझ
ना मात्रा की समझ
ना भाव की समझ
ना शिल्प की समझ
ना कोई शैली है इनके पास
जब मन किया कलम उठाई
जो जी में आया लिख डाला
भला ये भी कोई कविता है
कविता का जाने पहले बीजगणित
वर्ना तय है होना
कविता का अकल्याण
काव्य सम्मेलन के अध्यक्ष महोदय
ओढ़ते हुए गम्भीरता
धीरे धीरे बोल रहे थे
बहुत क्षुब्ध थे वे युवा कवियों से
चाहते थे वे जान लें युवा पहले
कविता का जीवद्रव्य
इस तरह वे सुनाने लगे
युवाओं के कविता पर श्वेत पत्र
समाप्त होते ही युवाओं का कविता सत्र।
- सन्तोष पटेल
साहित्यकार ,नई दिल्ली